पता नहीं
पता नहीं क्यूँ मैं मुस्कुरा कर चल दिया
दिल चाहता था की रोयें
पर खिलखिलाकर हंस दिया
हर टुकड़े की कसक को दबा कर चल दिया
ज़िन्दगी की ताल पे ताल मिला कर चल दिया
उनकी आँखों के सितारों को संजो कर चल दिया
हंसी को उनके लबों का रास्ता दिखा कर चल दिया
रुकना तो बोहुत चाहते थे पर, ये बता बता कर चल दिया
न आपने रोका हमें, कैसे बताये किस कदर दिल कुचल दिया