Sunday, 25 November 2012

and it chips me off...

days, night, weeks..... years
all passing by even without "bye dear"

it seems I am growing in something different
different then I thought of
different then what I wanted

not that I can control it
because its just an outcome

of things ....
those happened during all this while
chipping my beauty and smile

now its just a hag, I am 
who react rather retaliate
even if somebody ask "how are you mate"

and I cry there after for those moment
because I know that I dint want me to be that

and then it chips me off
a li'l more, just enough not to be visible...

and it chips me off...
and it chips me off...
and it chips me off...


Friday, 23 November 2012

हमें ही कुछ आदत सी हो चली है...


अल्फाज़ अक्सर कुछ कम पड़ जाते थे 
जब बयां हम करने की हसरत पाते थे 

होते थे इस क़दर कशमकश से रूबरू 
कि, अधर कुछ कह ही न पाते थे 

एक अरसा हो चला है इन लाम्हातों को 
हमारे दिल के डूबते उतरते ज़ज्बातों को 

कोई मिला जो कुछ समझ पता शायद 
ज़ख्म के अन्दर की वाहियात बातों को 

पर वक़्त न मिला उन्हें या न मिला मुकरर इल्म 
मरहम मिला बस नहीं था तो वो दिल 

जो करता नाज़ इस बेबसी पे हमारी 
और भर पाता जख्म  जो था रिस रहा 

यही ख्याल आता रहा ज़हन में हमारे 
और हर लम्हे को हम छोड़ते चले किनारे 

अनजान थे की छोड़ गर हमने ही दिया हमें 
न थामेगा कोई इस ज़नाज़े को हमारे 

न कहेंगे हम की ज़िन्दगी रुस्वां हो चली है 
वोह वहीँ है ज़हां हर खिलती कलि है 

तिल तिल हर पल मरने की 
हमें ही कुछ आदत सी हो चली है...


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