हमें है आपके अश्क़ नापसंद
और कमबख्त हम ही उनकी वजह बन जाते है
इसे ज़िन्दगी कहे या कहे कोइ अफ़साना
आप हमें आज भि उतने हि हसीँ नजर आते हैं
हम आपकी पलकोँ के पानी कि चिंता में खोये थे
और आपने इस कायनात के हालात पूछ लिये हमसे
जैसे उन्हे नसीब है जन्नतो कि खिलखिलाहट
लफ्ज़ ऐसे कह गये
कुछ कम कि कुछ ज्यादा कह गये
दिल है कि मानता नहि
आप हमें दीवाना कह गये
मुस्कराहट आपकी अगर बरक़रार है
हमारे जनाजे से अगर
कह दिया होता हमें
रोज़ शाम कन्धा देने बुलवा लेते आपको