Flowing Against Time ...
Few Drops Untangled...
Friday, 25 March 2016
अनकही
अनकही है, बात कुछ इस तरह
कि ना होइये नाराज इस तरह
सोचते थे हमारी खुमारी में
मय्यसर होगें उनके लम्हे दो लम्हे
उनके इसी ख़याल ने
रखा हमें डुबोये
मरह़म लगेगा, खोये खोये
पर उन्हें ना हुआ ये गवारा
तल्ख हुआ आलम सारा
इल्म अब बस यही,
कहीं तो कम हो दर्द
चाहे हो लम्हा दर लम्हा ।
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)
Message by Blog Owner
This is a Personal Blog.
Views and opinions expressed here are totally personal of respective writer or commentator.
All Images Courtesy (unless and until specified otherwise) :
Google Images
"N"counting...