शायद
यही है
शायद
ऐसे ही है
नियति
हाँ, वही
नियति
जिसमें दर्द है
बेइन्तेहाँ
दर्द
हर पल में
हर लम्हे में
बस
दर्द
कायनात के उस
ज़र्रे में
जहाँ
हम चाहते हैं
की ना हो
दर्द
वहां है तो बस
दर्द.........
यही है
शायद
ऐसे ही है
नियति
हाँ, वही
नियति
जिसमें दर्द है
बेइन्तेहाँ
दर्द
हर पल में
हर लम्हे में
बस
दर्द
कायनात के उस
ज़र्रे में
जहाँ
हम चाहते हैं
की ना हो
दर्द
वहां है तो बस
दर्द.........