कुछ अल्फाज़ से दफ़न है
या है ये मजार उन लम्हों की
जहाँ है उनकी खुशबुएँ ज़ब्त
हर दरख्त के साये में
रौशनी जो है छन के आती
पत्तों से लुक छिप कर उन पत्थरों पे
जैसे हो कोई जज्बा लिए
उन्हें आगोश में लेने का
या है ये मजार उन लम्हों की
जहाँ है उनकी खुशबुएँ ज़ब्त
हर दरख्त के साये में
रौशनी जो है छन के आती
पत्तों से लुक छिप कर उन पत्थरों पे
जैसे हो कोई जज्बा लिए
उन्हें आगोश में लेने का
5 comments:
:-)
I will have to refer to Urdu-English/Hindi dictionary to fully enjoy these words!!
वक़्त बेवक्त बस कुछ युहीं दस्तक दे जाती हैं !
मानो जैसे जस्बात की गहराई में डूब लिखी गई हो..
बेहतरीन अलङ्कार आँखों के सामने झलक आती है इन अल्फाजो के ज़रिए.....
Yaadein..
This took forever for me to read through. I hadn't realized my hindi is SO bad! But but, it was worth it.
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