आवारा से हो चले है अब हम
या पहले थे कभी
बिन पतवार की कश्ती से खड़े हैं अब हम
या पहले थे कभी
हकीकत में रूबरू हैं हम
या फसानो में है यकीं
ये बस वो जानता है
या दिल जानता है
जब भी देखा करते है मुद के पीछे
उन् लम्हों को जो हैं बीते
कुछ दूर बहुत दूर
कुछ हैं बस इसी मोड़ पे
हँसाते कुछ और कुछ भिगाते
दिल को या आँखों के पोरों को
और फिर हमें छोड़ते, बिन पतवार
जीने को कुछ नए लम्हे या मरने को शायद