आवारा से हो चले है अब हम
या पहले थे कभी
बिन पतवार की कश्ती से खड़े हैं अब हम
या पहले थे कभी
हकीकत में रूबरू हैं हम
या फसानो में है यकीं
ये बस वो जानता है
या दिल जानता है
जब भी देखा करते है मुद के पीछे
उन् लम्हों को जो हैं बीते
कुछ दूर बहुत दूर
कुछ हैं बस इसी मोड़ पे
हँसाते कुछ और कुछ भिगाते
दिल को या आँखों के पोरों को
और फिर हमें छोड़ते, बिन पतवार
जीने को कुछ नए लम्हे या मरने को शायद
8 comments:
:)
i got jumbled up while reading this..
Sometimes you feel like just letting go..
just glide away with stream..
Let it all happen.. no efforts..
just do nothing :)
Nice...perfect use of words..
Beautiful....I could picture the emotions!!
# u wanderer
humm,,,, may be it was aiming for that?? :)
#Jyoti
Ahh! kash aisa ho sakta :)
#Megha
I am imperfectionist I thought :)
# Red handed
:), thanks for letting me... :)
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