बेसब्र नहीं थे हम, ना ही था करना इकरार
सोचा न था हमने कुछ सिवाय इसके
कि कुछ सुनेंगे, कुछ सुनायेंगे बातें दो चार
कितने बौडम निकले हम ना था इख्तियार
ना कुछ कह सके ना कुछ सुन सके इस बार
ना हम ख़फा हैं, ना है कोइ दर्द औ मलाल
शायद हम ही ना समझे कायदा ए मौसमे बहार!
2 comments:
Its difficult to always fulfill ones wish as they want and its ok.
Well, its have not been about just wishes, they are endless.
It is about being able to happy be in what one does or so I thought. :-)
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