आहत हो तुम
दुःख है,
दर्द है,
बस नहीं हैं,
हम
अकेलापन
हाँ
वही अकेलापन
लौट आता है
हर बार
शायद
बताने के लिए
कि वही है,
चिर कालिक
प्रीतम
आहत हैं हम
कि
नहीं, बता पाते
कैसे हैं
आप
हमारे जीवन मैं
अर्थपूर्ण
आहत हैं हम
कि
आहत हो तुम।