आहत हो तुम
दुःख है,
दर्द है,
बस नहीं हैं,
हम
अकेलापन
हाँ
वही अकेलापन
लौट आता है
हर बार
शायद
बताने के लिए
कि वही है,
चिर कालिक
प्रीतम
आहत हैं हम
कि
नहीं, बता पाते
कैसे हैं
आप
हमारे जीवन मैं
अर्थपूर्ण
आहत हैं हम
कि
आहत हो तुम।
2 comments:
Sometimes when one is hurting, unknowingly they hurt the other person too. A hug might ease it slowly, what say?
it feels stupid to be still in the whirls of things which we know are futile & temporary!
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