Thursday, 28 June 2018

दर्द

शायद
यही है

शायद
ऐसे ही है

नियति
हाँ, वही

नियति
जिसमें दर्द है

बेइन्तेहाँ
दर्द

हर पल में
हर लम्हे में
बस
दर्द

कायनात के उस
ज़र्रे में
जहाँ
हम चाहते हैं
की ना हो



दर्द
वहां है तो बस
दर्द.........

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