Sunday, 22 February 2015

बस!

बस 
यही कह रह थे हम

और आप उठ कर 
चल दिये 

कि कहिये 
क्या है आपके हृदय में 

उलझन है या है शिकवा 
या कोई फाँस है इक ज़हन में

ना बिलखिये ख़ुद 
मन ही मन में

कुछ कहिये कुछ बहलाइये
दिल को कुछ हल्का बनाइये

बस यही कह रहे थे हम
कि आप बस चल दिये।

2 comments:

Unknown Wanderer said...

Bas..shayad ab wapas mudd aa jaye aur sab keh jaye :)

Makk said...

Bohut bada Shayad h ye

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