खरामा खरामा चलते रहे हम..
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ते रहे हम..
सुनसान सी उन वादियों में..
यूँही हँसते और रोते रहे हम..
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ते रहे हम..
सुनसान सी उन वादियों में..
यूँही हँसते और रोते रहे हम..
कुछ हमारी आँखें ही हम थी..
कुछ थी मौसम में नमी..
बस कुछ कहना ना चाहते थे हम किसी को..
कमबख्त ये दिल था जो रो पड़ा..
4 comments:
wow super!!
# Insignia
:)...thank you.
शायद कुछ न कहे ही सब कह दिया था कुछ यूँ
लव्जो की ज़रा भी ज़रूरत नहीं थी
हम में जो समाया था वह समझ गया
और कोई नहीं समझा तो ना सही
# unknown wanderer
Nice verses....Keep Smiling
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