वक़्त बेवक्त, ज़ज्बात ज़ज्ब कर जाना
अश्कों को कही कोने में छुपाना
अधरों को मुस्कराहट में खिलाना
क्या यही ज़िन्दगी है...
काली निशा के साये में अनायास ही डर जाना
और तड़पना किसी एक अपने हमसाये के लिए
ख्वाबो में, छुप जाना उसके आगोश में..
क्या यही ज़िन्दगी है ...
सुबह के बाद दोपहर और फिर शाम हो जाना
रातों को बस शून्य में तकते जाना
बिना काटों की घडी के बस चलते जाना
क्या यही ज़िन्दगी है..
Image Courtesy: Deviantart
4 comments:
"Time and tide waits for nonw"
And life goes on....round and round...
# insignia
Life is not life...then there is meaning of it...where its round..or square one..
Keep smiling!
Iss zindagi ko jan ne ki kashmakash mein sab hi bandhe huay hain...apne kaafi achi tarike se iss uljhay huay anmol bandhan ka varnan kiya...
# Unknown wanderer
Aap ne atyant sunder bhasha mien is rachna ko varnit kiya hai ..
aasha hai aap aage bhi rachnao ko apne shabdo se purskrit karati rahenge...
:)
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